बीएसएनएल एम्प्लॉईज यूनियन, बीएसएनएल की सबसे बड़ी यूनियन के साथ साथ प्रमुख मान्यता प्राप्त यूनियन, बीएसएनएल को सरकार की बीएसएनएल विरोधी विनाशकारी नीतियों से बचाने के लिए "बीएसएनएल बचाओ, देश बचाओ" अभियान के माध्यम से देश के नागरिकों के बीच पहुंच रही है।
ज्ञातव्य है कि सभी टेलीकॉम कम्पनीज ने अपनी 4G सेवाएं शुरू कर दी है। किंतु BSNL, जो कि एक सरकारी कंपनी है, अभी तक 4G सेवा शुरू नही कर सकी है। इसकी वजह है, भारत सरकार ने, जिसके पास BSNL के 100% मालिकाना अधिकार है, अभी तक BSNL को 4G स्पेक्ट्रम आवंटित नही किया है। BSNL यूनियन्स और एसोसिएशन्स द्वारा विगत 3 वर्षों से निरंतर संघर्ष करते हुए सरकार से BSNL को 4G स्पेक्ट्रम आवंटित करने की मांग की जा रही है। श्री मनोज सिन्हा, माननीय संचार राज्य मंत्री ने 24.02.2018 और 03.12.2018 को यूनियन्स और एसोसिएशन्स को आश्वासित किया था कि BSNL को 4G स्पेक्ट्रम शीघ्र आवंटित किया जाएगा। किन्तु आज दिनांक तक BSNL को 4G स्पेक्ट्रम आवंटित नही किया गया है। हम कह सकते हैं कि सरकार BSNL को 4G स्पेक्ट्रम आवंटित करने के प्रति उदासीन है और सरकार नही चाहती कि BSNL रिलायंस जियो से बराबरी के साथ प्रतिस्पर्धा कर सके।
वर्ष 2000 में BSNL के निर्माण के समय कैबिनेट ने निर्णय लिया था कि विभाग की सारी संपत्तियां और देनदारियां BSNL को स्थानांतरित कर दी जाएंगी। किन्तु हकीकत यह है कि अभी तक केवल देनदारियों का ही स्थानांतरण BSNL को हुआ है। परंतु, BSNL के नाम संपत्तियों का स्थानांतरण अभी तक शेष है। देश भर में BSNL के पास काफी रिक्त जमीन है। इन रिक्त पड़ी भूमि की कीमत लगभग रु एक लाख करोड़ है। BSNL की, इन जमीनों को किराए या लीज पर देकर, प्रति वर्ष रु 10,000 करोड़ राजस्व प्राप्ति की योजना है। किन्तु यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार रिक्त जमीनों को मोनेटाइज (मुद्रीकरण/नाम परिवर्तन) करने की BSNL को इजाजत नही दे रही है। यह स्पष्ट पहल दर्शाती है कि सरकार BSNL के पुनरुत्थान (revival) को रोकना चाहती है।
जब भी नैसर्गिक आपदाएं आती हैं, चाहे वह चेन्नई की बाढ़ रही हो या ओडिशा का तूफान, सरकार के राहत और बचाव अभियान में BSNL ही अपनी सेवाएं उपलब्ध कराता रहा है। ऐसी आपदाओं के वक्त सामान्यतः, निजी कम्पनीज अपनी सेवाओं का संचालन ही बंद कर देती है। इसके बावजूद, BSNL के साथ सरकार सौतेला व्यवहार कर रही है और BSNL को 4G स्पेक्ट्रम का आवंटन नही किया जा रहा है।
वर्ष 2000 में जब BSNL का निर्माण/गठन हुआ था, तब सरकार ने आश्वासित किया था कि वह BSNL की जीवंतता के लिए हर तरह से वित्तीय सहयोग प्रदान करेगी। किन्तु अभी तक सरकार ने BSNL के रिवाइवल के लिए किसी भी प्रकार की वित्तीय सहायता प्रदत्त नही की है। इसके अलावा, सरकार, वित्तीय संकट से गुजर रही कई निजी कंपनियों को अपनी वित्तीय संस्थाओं के माध्यम से मदद कर रही है। अभी हाल ही में हमने देखा है कि सरकार ने किस तत्परता के साथ जेट एयरवेज की मदद (bail out) की पहल की है। इसके साथ ही, यहां, यह बताना भी जरूरी है कि इसी सरकार ने केवल विगत 5 वर्षों में ही रु 5.5 लाख करोड़ के बैंक ऋण को डूबत खाते में डाल दिया है। इसमें से अधिकांश ऋण बड़े कॉरपोरेट्स द्वारा लिया गया है। इससे, हम समझ सकते हैं कि सरकार की नीतियां कॉर्पोरेट समर्थक और पब्लिक सेक्टर विरोधी है।
यह बेहद चिंताजनक है कि सरकार मुकेश अम्बानी के स्वामित्व वाली रिलायंस जियो को अनुचित सहयोग (undue favour) प्रदान कर रही है। रिलायंस जियो को परोक्ष अपरोक्ष रूप से सहयोग करने के लिए सरकार द्वारा नियमों को तोड़ा मरोड़ा जा रहा है, जिससे कि वह सम्पूर्ण टेलीकॉम मार्किट पर कब्जा कर सके। उदाहरणार्थ, भारतीय रेलवेज के सारे टेलीफोन कनेक्शन्स रिलायंस जियो उपलब्ध करा रहा है। इसी प्रकार, सभी एयरपोर्ट्स पर कनेक्टिविटी की उपलब्धता के लिए भी रिलायंस जियो को ही अनुमति दी गई है। इस प्रकार से, इस सरकार के लिए, रिलायंस जियो ही सरकारी कंपनी है।
वोडाफोन आईडिया, एयरटेल और रिलायंस जियो जैसी टेलीकॉम कंपनीज में प्रत्येक पर रु एक लाख करोड़ से अधिक का भारी कर्ज है। किन्तु BSNL का ऋण केवल रु 13,000 करोड़ ही है। BSNL के विशाल स्वरूप के मद्दे नजर यह राशि नगण्य है। फिर भी, सरकार BSNL पर, अपनी सेवाओं के विस्तार के लिए बैंक से ऋण लेने में, काफी अनावश्यक पाबंदियां थोप रही है। इस प्रकार, BSNL को निजी कंपनियों से प्रतिस्पर्धा के लिए समान अवसरों से वंचित किया जा रहा है। यह स्पष्ट है कि BSNL को कमजोर करने के दृष्टिकोण से ही यह सब किया जा रहा है।
BSNL द्वारा वर्ष 2004-05 में रु 10,000 करोड़ का शुद्ध लाभ अर्जित किया गया था। किंतु सरकार की बीएसएनएल विरोधी नीतियों के चलते, BSNL एक घाटे वाली (loss making) कंपनी बन चुकी है। अब, देश के नागरिकों के लिए, देश के लिए, BSNL के अस्तित्व को बरकरार भी रखना है और मजबूत भी करना है। दूरसंचार एक रणनीतिक सेक्टर है और BSNL जैसी सशक्त पब्लिक सेक्टर कंपनी का अस्तित्व राष्ट्र के व्यापक हित मे है।
आज बेरोजगारी देश की एक बड़ी समस्या है। BSNL द्वारा 1.70 लाख कर्मचारियों को रोजगार दिया जा रहा है। वस्तुतः, BSNL राष्ट्र के बड़े नियोक्ताओं में से एक है। यह बेहद जरूरी है कि BSNL की रोजगार देने की क्षमता को और ज्यादा सशक्त किया जाए। किन्तु इसके विपरीत, सरकार BSNL की रोजगार उपलब्ध कराने की इस क्षमता को ही खत्म कर रही है। सरकार तीव्र गति से VRS के क्रियान्वयन के माध्यम से लगभग 50,000 BSNL कर्मचारियों की स्ट्रेंग्थ कम करने का तीव्रता से प्रयास कर रही है। कर्मचारियों की यूनियन्स और एसोसिएशन्स VRS के खिलाफ संघर्ष कर रही है।
BSNL जनता की संपत्ति है। इसीलिए हमने निर्णय लिया है कि BSNL की जीवंतता और सशक्तता के लिए नागरिकों से सहयोग मांगा जाए। पार्लियामेंट इलेक्शन्स के बाद जो भी सरकार अस्तित्व में आए, हम आम नागरिकों से अनुरोध करते हैं कि वें सरकार पर दबाव बना कर यह सुनिश्चित करें कि BSNL सशक्त हो और उसका एक जीवंत (vibrant) पब्लिक सेक्टर कंपनी के रूप में अस्तित्व बना रहे।